@स्टालिन_अमर_अक्की #_कोशी क्षेत्रिये समाचार
PRINCE:-
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मधेपुरा। घर से दूर रह रहे बच्चे सुकून से पढ़ाई कर सकें और अपना भविष्य बना सके, इस उद्देश्य को लेकर जिले में विभिन्न योजनाओं के तहत छात्रावासों को बनाया गया। सरकार की ओर से छात्रावास शुरू तो कर दिया गया, लेकिन छात्रावास में मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था भी नहीं जा सकी। ऐसे में छात्रों को बिना सुविधा के ही रहना पड़ रहा है। जिला मुख्यालय में तीन छात्रावास संचालित किए जा रहे हैं। हालात यह है कि छात्रावास में रह रहे छात्र किसी तरह अपना ¨जदगी काट रहे हैं। मूलभूत सुविधाओं अभाव में छात्रों की पढ़ाई भी ठीक ढंग से नहीं हो पा रही है। एक कमरा में चार से पांच छात्रों को रहना पड़ रहा है।
14 वर्ष बाद भी सुविधाओं का अभाव :
मधेपुरा में अल्पसंख्यक छात्रावास का उद्घाटन 20 जनवरी को 2004 हुआ था। उद्घाटन के 14 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस छात्रावास में रहने वाले छात्रों के लिए मूलभूत सुविधाओं का भारी अभाव है। छात्रावास में कुल 36 कमरों में लगभग 80 छात्र रहते हैं। यहां के छात्र आयरनयुक्त पानी पीने को मजबूर हैं। छात्रों ने बताया कि कुछ दिन पहले स्वच्छ पेयजल के लिए दो वाटर फिल्टर लगाया गया था। लेकिन लगाने के कुछ दिनों के बाद ही यह खराब हो गया। इससे छात्रों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है।यहां पर एक सफाईकर्मी कार्यरत है। छात्रों ने बताया कि हॉस्टल की सफाई भी नियमित रूप से नहीं होता है। दो-तीन दिन पर सफाई कर्मी आते हैं। इस कारण सफाई सही ढंग से नहीं हो पाता है। खासकर बाथरूम व शौचालय में गंदगी पसरा रहता है।
सिर्फ नाम का टाटा आयरन हॉस्टल :
टीपी कॉलेज के अंतर्गत दो छात्रावास संचालित किए जा रहे हैं। इसमें एक टाटा आयरन छात्रावास में छात्रों को रहने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। छात्रावास में रहने वाले छात्रों ने बताया कि छात्रावास में बेड भी उपलब्ध नहीं है। छात्रों को बाहर से खरीद कर लाना पड़ता है। हॉस्टल के साफ-सफाई के एक भी सफाई कर्मी हॉस्टल में कार्यरत नहीं है। पीने के लिए स्वच्छ पेयजल की भी कोई सुविधा नहीं उपलब्ध है। 12 कमरों वाले इस हॉस्टल में लगभग 25 छात्र रहते हैं। छात्रों ने बताया कि किसी तरह ¨जदगी कट रही है।
पुस्तकालय भवन में पुस्तक उपलब्ध नहीं : अंबेडकर छात्रावास में छात्रों को रहने के लिए कुल 21 कमरे उपलब्ध हैं। वर्तमान में 84 छात्र रह रहे हैं। बड़ी संख्या में छात्रों के रहने के बावजूद एक भी सुरक्षा गार्ड छात्रावास में नहीं है। छात्रावास अधीक्षक डॉ. जवाहर पासवान ने बताया कि नाइट गार्ड नहीं रहने से परेशानी तो होती है। बहरहाल किसी तरह कार्य किए जा रहे हैं। इस हॉस्टल में भी पीने के पानी का कोई समुचित व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। लाइब्रेरी तो है पर लाइब्रेरी में एक भी पुस्तक उपलब्ध नहीं है। जिससे छात्रों को लाइब्रेरी का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। छात्रावास अधीक्षक ने बताया कि छात्रों के लिए 10 कंप्यूटर भी उपलब्ध है, लेकिन इसे चलाने के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर नहीं रहने से कंप्यूटर बेकार पड़ा हुआ है।
कहीं भी नहीं हो रहा कैंटीन का संचालन :
जिला मुख्यालय में स्थित तीनों छात्रावासों में से एक में भी कैंटीन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। छात्रों को खाना के लिए अपना व्यवस्था अलग से करना पड़ता है। अल्पसंख्यक छात्रावास के छात्रों ने बताया कि चर्चा चल रही थी कि जनवरी से कैंटीन की शुरूआत की जाएगी। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं दिख रही है। छात्रावास अधीक्षक मु. मुर्तजा अली ने बताया कि परीक्षा को लेकर कैंटीन शुरू नहीं हो पाया था। इसी महीने में कैंटीन की सुविधा छात्रों के लिए बहाल कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि छात्रावास में एक सुसज्जित पुस्तकालय उपलब्ध है। एक बड़ा सा सेमिनार हॉल भी उपलब्ध है। छात्रावास को और बेहतर करने की दिशा में कार्य किए जा रहे हैं।